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ग़ज़ल
इबादत नाम है उस का शरीअ'त है लक़ब उस का
दिल-ओ-जाँ से जो ख़िल्क़त की इताअ'त हो इताअ'त हो
श्याम सुंदर लाल बर्क़
ग़ज़ल
हासिल-ए-नेकी हूँ नेकों को बदों को बद हूँ 'मेहर'
मेरा ही परतव अनत में है मैं ही हंज़ल में हूँ
हातिम अली मेहर
ग़ज़ल
दर्द-ए-दिल ने मिरी उस वक़्त इआनत की है
ये न उठता तो वो पहलू से सिधारा होता
सय्यद अहमद हुसैन शफ़ीक़ लखनवी
ग़ज़ल
ग़ैर की नज़रों से बच कर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़
वो तिरा चोरी-छुपे रातों को आना याद है
हसरत मोहानी
ग़ज़ल
मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और है
सर-ए-आईना मिरा अक्स है पस-ए-आईना कोई और है
सलीम कौसर
ग़ज़ल
आमिर अमीर
ग़ज़ल
उसूलों पर जहाँ आँच आए टकराना ज़रूरी है
जो ज़िंदा हो तो फिर ज़िंदा नज़र आना ज़रूरी है
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
तू बचा बचा के न रख इसे तिरा आइना है वो आइना
कि शिकस्ता हो तो अज़ीज़-तर है निगाह-ए-आइना-साज़ में