aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "anjuman-aaraa"
शौक़-ए-बुतान-ए-अंजुमन-आरा लिए हुएफिरता हूँ हश्र में वही दुनिया लिए हुए
दुश्वार है इस अंजुमन-आरा को समझनातन्हा न कभी तुम दिल-ए-तन्हा को समझना
ख़ल्वत हुई है अंजुमन-आरा कभी कभीख़ामोशियों ने हम को पुकारा कभी कभी
गोशा-नशीं हैं अंजुमन-आरा नहीं हैं हमलेकिन ये मो'जिज़ा है कि तन्हा नहीं हैं हम
ऐ सनम देर न कर अंजुमन-आरा हो जामेरी दम तोड़ती नज़रों का सहारा हो जा
तिरी ज़बाँ पे वही हर्फ़-ए-अंजुमन-आरामिरी ज़बाँ पे वही हर्फ़-ए-राएगाँ फिर से
हम दिल को इन अल्फ़ाज़ से करते हैं मुख़ातबऐ जल्वा-गह-ए-अंजुमन-आरा-ए-क़यामत
जब हमें इज़्न तमाशा होगातू कहाँ अंजुमन-आरा होगा
कम हो गर झूटे सितारों की नुमूदये ज़मीं भी अंजुमन-आरा बने
अपने बीमार सितारे का मुदावा होतीदर्द की रात अगर अंजुमन-आरा होती
हर बज़्म में हम ने उसे अफ़्सुर्दा ही देखाकहते हैं 'फ़राज़' अंजुमन-आरा भी कभी था
हर जल्वे को देखा तिरे जल्वों से मुनव्वरहर बज़्म में तू अंजुमन-आरा नज़र आया
शम्ओं' में अब नहीं है वो पहली सी रौशनीक्या वाक़ई वो अंजुमन-आरा है इन दिनों
जहाँ पे जल्वा-ए-जानाँ है अंजुमन-आरावहाँ निगाह की मंज़िल तमाम होती है
रातें ख़याल-ओ-ख़्वाब से आरास्ता रहींपहलू में एक अंजुमन-आरा भी दोस्त था
इज़हार-ए-हाल सुन के हमारा कभी कभीवो भी हुए हैं अंजुमन-आरा कभी कभी
सज्दे जबीन-ए-शौक़ के अब राएगाँ नहींतू बे-हिजाब अंजुमन-आरा कहाँ नहीं
परवाने चराग़ों पर गिरने लगे मस्ती मेंये महफ़िल-ए-हस्ती में कौन अंजुमन-आरा है
अपनी आँखें तो उठा महव-शुदा जल्वे भीनज़र आएँगे तुझे अंजुमन-आरा दिल में
महफ़िल-ए-यार की रह जाएगी आधी रौनक़नाज़ को उस ने अगर अंजुमन-आरा न किया
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books