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ग़ज़ल
मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए
न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाए
अनवर मिर्ज़ापुरी
ग़ज़ल
फ़रिश्तों से भी अच्छा मैं बुरा होने से पहले था
वो मुझ से इंतिहाई ख़ुश ख़फ़ा होने से पहले था
अनवर शऊर
ग़ज़ल
अज्ञात
ग़ज़ल
तजल्ली चेहरा-ए-ज़ेबा की हो कुछ जाम-ए-रंगीं की
ज़मीं से आसमाँ तक आलम-ए-अनवार हो जाए