aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ashk-fishaanii"
रात परवाने के मातम में गुदाज़-ए-दिल सेशम्अ' की अश्क-फ़िशानी है कहो या न कहो
सर पर हो सर-ए-बज़्म कहाँ शम्अ में है आबगर इश्क़ की आँखें जो करें अश्क-फ़िशानी
तारे जो कभी अश्क-फ़िशानी से निकलतेहम चाँद उठाए हुए पानी से निकलते
मिस्ल दरिया के अगर अश्क-फ़िशानी होतीआँसुओं में सिफ़त-ए-सैल रवानी होती
बहते दरिया की तरह अश्क फ़िशानी अपनीजा मिली उस के समुंदर से रवानी अपनी
दिल दश्त है तो अश्क-फ़िशानी करेंगे हमये काम बस बरा-ए-रवानी करेंगे हम
फ़रियाद है अब लब पर जब अश्क-फ़िशानी थीये और कहानी है वो और कहानी थी
मुद्दत हुई अपनी आँखों को क्यों अश्क-फ़िशानी याद आईक्या दिल ने उन्हें फिर याद किया फिर भूली कहानी याद आई
दामन-ए-गुल में वो थी अश्क-फ़िशानी की तरहमैं ने चाहा था जिसे रात की रानी की तरह
यादें हैं शब-ए-ग़म है और अश्क-फ़िशानी हैसुन ऐ दिल-ए-दीवाना तेरी ये कहानी है
इक हूक सी दिल में उठती है और अश्क-फ़िशानी होती हैयाद उन की सताने आती है जब रात सुहानी होती है
लिखने के वास्ते कोई उनवान चाहिएफ़रियाद-ओ-आह-ओ-अश्क-फ़िशानी लिखा करो
आज समझा गई क्या तुझ को 'इबादत तेरीन रहा मशग़ला-ए-अश्क-फ़िशानी वा'इज़
इश्क़ में हम को हाथ ये आयाबैठते उठते अश्क-फ़िशानी
फिर चाँद नहीं करता कभी अश्क-फ़िशानीगर टूटे सितारों का अज़ादार न होता
मेंह तो बौछार का देखा है बरसते तुम नेइसी अंदाज़ से थी अश्क-फ़िशानी उस की
अब मिरे पास नहीं कोई भी रोने का जवाज़हिज्र मौसम की सही अश्क फ़िशानी होती
मैं देखता हूँ आँख में ख़्वाबों की मय्यतेंतुम देखते हो अश्क-फ़िशानी के बा'द क्या
रोता नहीं 'शफ़ीक़' ही उन के फ़िराक़ मेंकरती हैं वो भी अश्क-फ़िशानी तमाम रात
रास आ गई सहरा को मिरी अश्क-फ़िशानीअश्जार सुकूँ पाते हैं अक्सर मिरे ग़म से
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