आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "asiir-e-gul-daam"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "asiir-e-gul-daam"
ग़ज़ल
उस गुल-बदन के इश्क़ में रोऊँ न क्यों 'असीर'
है मुझ को रश्क-ए-तालेअ'-ए-शबनम तमाम रात
मुज़फ़्फ़र अली असीर
ग़ज़ल
हो गई वो भी किसी शोख़ की ज़ुल्फ़ों की असीर
निकहत-ए-गुल है परेशाँ दिल-ए-मुज़्तर की तरह
तरब सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
याद फ़रमाना था मुझ को भी दम-ए-गुल-गश्त-ए-बाग़
साथ चलने को जिलौ मैं क्या सबा थी मैं न था
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
ग़ज़ल
मौसम-ए-गुल साथ ले कर बर्क़ ओ दाम आ ही गया
यानी अब ख़तरे में गुलशन का निज़ाम आ ही गया