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ग़ज़ल
हम हैं असीर-ए-ज़ुल्फ़-ए-मोहब्बत मुदाम बस
हमराह-ए-बू-ए-क़ुर्ब-ए-सनम हो ख़िराम बस
अख़लाक़ अहमद आहन
ग़ज़ल
असीर जबलपुरी
ग़ज़ल
बुलबुल न क्यों असीर-ए-मोहब्बत चमन में हो
दाम उस के पाँव में है रग-ए-गुल के तार का
मुंशी मोहम्मद हयात ख़ाँ मज़हर
ग़ज़ल
हम महफ़िल-ए-जानाँ में 'असीर' आप ही चुप हैं
बातें वो बनाएँ कि जो हों बात के क़ाबिल
मुज़फ़्फ़र अली असीर
ग़ज़ल
ख़ाम-ए-तबई' से तुम्हारे है बहुत तंग 'असीर'
कीजिए वस्ल का इक़रार तो पक्का पक्का
मुज़फ़्फ़र अली असीर
ग़ज़ल
उस गुल-बदन के इश्क़ में रोऊँ न क्यों 'असीर'
है मुझ को रश्क-ए-तालेअ'-ए-शबनम तमाम रात
मुज़फ़्फ़र अली असीर
ग़ज़ल
असीर-ए-दाम-ए-मोहब्बत कहाँ से हो आज़ाद
कि उन की ज़ुल्फ़ की ज़ंजीर जब रिहाई न दे