aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "audible"
बोलते क्यूँ नहीं मिरे हक़ मेंआबले पड़ गए ज़बान में क्या
बावजूद-ए-इद्दिया-ए-इत्तिक़ा 'हसरत' मुझेआज तक अहद-ए-हवस का वो फ़साना याद है
जब इश्क़ सिखाता है आदाब-ए-ख़ुद-आगाहीखुलते हैं ग़ुलामों पर असरार-ए-शहंशाही
कभी जब मुद्दतों के बा'द उस का सामना होगासिवाए पास आदाब-ए-तकल्लुफ़ और क्या होगा
'नूह' की क़द्र कोई क्या जानेकहीं ऐसे अदीब होते हैं
रात बीती तो गिने आबले और फिर सोचाकौन था बाइस-ए-आग़ाज़-ए-सफ़र शाम के बा'द
भूला नहीं मैं आज भी आदाब-ए-जवानीमैं आज भी औरों को नसीहत नहीं करता
कैसी आदाब-ए-नुमाइश ने लगाईं शर्तेंफूल होना ही नहीं फूल नज़र आना भी
हाए आदाब-ए-मोहब्बत के तक़ाज़े 'साग़र'लब हिले और शिकायात ने दम तोड़ दिया
ख़मोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फ़त नई नई हैअभी तकल्लुफ़ है गुफ़्तुगू में अभी मोहब्बत नई नई है
दिल को आदाब-ए-बंदगी भी न आएकर गए लोग हुक्मरानी भी
आशिक़ थे शहर में जो पुराने शराब केहैं उन के दिल में वसवसे अब एहतिसाब के
बदन पर नई फ़स्ल आने लगीहवा दिल में ख़्वाहिश जगाने लगी
ये फ़ैज़ान-ए-नज़र था या कि मकतब की करामत थीसिखाए किस ने इस्माईल को आदाब-ए-फ़रज़ंदी
ये वक़्त भी बताता है आदाब-ए-वक़्त भीइस टूटते सितारे को जब देखता हूँ मैं
अव्वल अव्वल तो न थे वाक़िफ़-ए-आदाब-ए-क़फ़सऔर अब रस्म-ओ-रह-ए-अहल-ए-चमन याद नहीं
जो दश्त में भी जलाते थे फ़स्ल-ए-गुल के चराग़मैं शहर में भी वही आबले तलाश करूँ
मुझे पसंद नहीं ऐसे कारोबार में हूँये जब्र है कि मैं ख़ुद अपने इख़्तियार में हूँ
तू ही बरहना-पा नहीं इस जलती रेत परतलवों में जो हवा के हैं वो आबले भी देख
जाने किस के मुंतज़िर बैठे हैं झाड़ू फेर करदिल से हर ख़्वाहिश को 'आदिल' हम ने चलता कर दिया
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