आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "aziim"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "aziim"
ग़ज़ल
मुझे अपने ज़ब्त पे नाज़ था सर-ए-बज़्म रात ये क्या हुआ
मिरी आँख कैसे छलक गई मुझे रंज है ये बुरा हुआ
इक़बाल अज़ीम
ग़ज़ल
पढ़ता जा ये मंज़र-नामा ज़र्द अज़ीम पहाड़ों का
धूप खिली पलकों के ऊपर बर्फ़ जमी है आँखों में
बशीर बद्र
ग़ज़ल
वो यूँ मिला कि ब-ज़ाहिर ख़फ़ा ख़फ़ा सा लगा
न जाने क्यूँ वो मुझे फिर भी बा-वफ़ा सा लगा
इक़बाल अज़ीम
ग़ज़ल
बढ़ा लोगे अगर तुम फ़ासले मुझ से कभी 'आज़िम'
तो रूदाद-ए-दिल-ए-नाशाद फिर किस को सुनाओगे