aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "baadiye"
सैलाब हर तरफ़ से आएँगे बादीए मेंजूँ अब्र रोते होगा जिस दम गुज़र हमारा
हमारे दिल में सैल-ए-गिर्या होगाअगर बा-दीदा-ए-पुर-नम न होंगे
ज़ोफ़ से गिर्या मुबद्दल ब-दम-ए-सर्द हुआबावर आया हमें पानी का हवा हो जाना
इक तौर-ए-दह-सदी था जो बे-तौर हो गयाअब जंतरी बजाइये तारीख़ गाइए
ये क्या है कि बढ़ते चलो बढ़ते चलो आगेजब बैठ के सोचेंगे तो कुछ बात बनेगी
पोंछो न अरक़ रुख़्सारों से रंगीनी-ए-हुस्न को बढ़ने दोसुनते हैं कि शबनम के क़तरे फूलों को निखारा करते हैं
बद-दिली में बे-क़रारी को क़रार आया तो क्यापा-पियादा हो के कोई शहसवार आया तो क्या
मुझे तो रोज़ कसौटी पे दर्द कसता हैकि जाँ से जिस्म के बख़िये उधड़ते रहते हैं
देख साक़ी को अपने दरिया-दिलज़र्फ़-ए-मय-कश बढ़ाए बैठे हैं
रिया-कारी से बचिए ये बहुत ज़हरीली नागिन हैये नागिन ज़िंदगी भर की 'इबादत छीन लेती है
मोहब्बत में वफ़ादारी से बचिएजहाँ तक हो अदाकारी से बचिए
ज़माने से आगे तो बढ़िए 'मजाज़'ज़माने को आगे बढ़ाना भी है
जो मुद्दई' बने उस के न मुद्दई' बनिएजो ना-सज़ा कहे उस को न ना-सज़ा कहिए
ख़ातिर-ए-बादिया से दैर में जावेगी कहींख़ाक मानिंद बगूले के उड़ानी उस की
बढ़ने लगी हैं और ज़मानों की दूरियाँयूँ फ़ासले तो आज बहुत मुख़्तसर हुए
अगर हम वाक़ई कम-हौसला होते मोहब्बत मेंमरज़ बढ़ने से पहले ही दवा तब्दील कर लेते
तीर आख़िर बदल-ए-काफ़िर हैहम अख़ीर आज दुआ करते हैं
हल भी तलाश कर लिया जाएगा अन-क़रीबतुम इस वबा को बढ़ने न दो फ़ासला रखो
जिस तरह पेड़ को बढ़ने नहीं देती कोई बेलक्या ज़रूरी है मुझे घेर के मारा जाए
ये भी क्या मंज़र है बढ़ते हैं न रुकते हैं क़दमतक रहा हूँ दूर से मंज़िल को मैं मंज़िल मुझे
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books