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ग़ज़ल
घरों की तर्बियत क्या आ गई टी-वी के हाथों में
कोई बच्चा अब अपने बाप के ऊपर नहीं जाता
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा
यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
कोई पड़ोसी तंग हो चाहे किसी से जंग हो
घर है ये अपने बाप का कोई हमें चुपाए क्यों