आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "baavle"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "baavle"
ग़ज़ल
लगते हैं नित जो ख़ूबाँ शरमाने बावले हैं
हम लोग वहशी ख़ब्ती दीवाने बावले हैं
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
काँच के रेज़े तेज़ हवा में बावले उड़ते फिरते हैं
नंगे बदन की चाँदनी से फिर तारा तारा गिरता है
अली अकबर नातिक़
ग़ज़ल
उगे हैं ख़्वाब-ज़ारों में मनाज़िर सर-तराशी के
सुहानी वादियों में बावले लश्कर निकल आए
ख़ालिद जमाल
ग़ज़ल
शहपर रसूल
ग़ज़ल
लगने न दे बस हो तो उस के गौहर-ए-गोश को बाले तक
उस को फ़लक चश्म-ए-मह-ओ-ख़ुर की पुतली का तारा जाने है
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
चाहत के बदले में हम तो बेच दें अपनी मर्ज़ी तक
कोई मिले तो दिल का गाहक कोई हमें अपनाए तो