aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "badan"
सुना है उस के बदन की तराश ऐसी हैकि फूल अपनी क़बाएँ कतर के देखते हैं
उस के बदन को दी नुमूद हम ने सुख़न में और फिरउस के बदन के वास्ते एक क़बा भी सी गई
चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहनहमारे जैब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है
अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता हैजाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई की
ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदनदोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो
इश्क़ को दरमियाँ न लाओ कि मैंचीख़ता हूँ बदन की उसरत में
वो ख़्वाब जो बरसों से न चेहरा न बदन हैवो ख़्वाब हवाओं में बिखर क्यूँ नहीं जाता
सोचो तो बड़ी चीज़ है तहज़ीब बदन कीवर्ना ये फ़क़त आग बुझाने के लिए हैं
जो यकसर जान है उस के बदन सेकहो कुछ इस्तिफ़ादा कर लिया क्या
बदन के कर्ब को वो भी समझ न पाएगामैं दिल में रोऊँगी आँखों में मुस्कुराऊँगी
मेरी हर बात बे-असर ही रहीनुक़्स है कुछ मिरे बयान में क्या
बदन में एक तरफ़ दिन तुलूअ' मैं ने कियाबदन के दूसरे हिस्से में रात हो गई है
सर्द झोंकों से भड़कते हैं बदन में शो'लेजान ले लेगी ये बरसात क़रीब आ जाओ
बेदार कर के तेरे बदन की ख़ुद-आगहीतेरे बदन की उम्र घटाता रहा हूँ मैं
ये रूह बरसों से दफ़्न है तुम मदद करोगेबदन के मलबे से इस को ज़िंदा निकालना है
झुकती हुई नज़र हो कि सिमटा हुआ बदनहर रस-भरी घटा को बरस जाना चाहिए
बदन बैठा है कब से कासा-ए-उम्मीद की सूरतसो दे कर वस्ल की ख़ैरात रुख़्सत क्यूँ नहीं करते
बदन चुरा के वो चलता है मुझ से शीशा-बदनउसे ये डर है कि मैं तोड़ फोड़ दूँगा उसे
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया हैबहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है
बदन मेरा छुआ था उस ने लेकिनगया है रूह को आबाद कर के
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