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ग़ज़ल
मैं तुझ को जीत जाने की मुबारकबाद देता हूँ
तू मुझ को हार जाने की बधाई क्यूँ नहीं देता
मनीश शुक्ला
ग़ज़ल
मिरे क़िस्सा-गो ने कहाँ कहाँ से बढ़ाई बात
मुझे दास्ताँ का सिरा मिला तो ख़बर हुई
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ग़ज़ल
चुभें आँखों में भी और रूह में भी दर्द की किर्चें
मिरा दिल इस तरह तोड़ो के आईना बधाई दे
नक़्श लायलपुरी
ग़ज़ल
मुसलसल ही बढ़ाई हैं किसी की धड़कनें मैं ने
मुसलसल ही किसी के ज़ेहन से सोचा गया हूँ मैं