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ग़ज़ल
हँसो तो साथ हँसेंगी दुनिया बैठ अकेले रोना होगा
चुपके चुपके बहा कर आँसू दिल के दुख को धोना होगा
मीराजी
ग़ज़ल
उड़ते उड़ते आस का पंछी दूर उफ़ुक़ में डूब गया
रोते रोते बैठ गई आवाज़ किसी सौदाई की
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
तिरे ख़ानुमाँ-ख़राबों का चमन कोई न सहरा
ये जहाँ भी बैठ जाएँ वहीं इन की बारगाहें