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ग़ज़ल
अजब पागल है दिल कार-ए-जहाँ बानी में रहता है
ख़ुदा जब देखता है ख़ुद भी हैरानी में रहता है
सिद्दीक़ मुजीबी
ग़ज़ल
दो अश्क जाने किस लिए पलकों पे आ कर टिक गए
अल्ताफ़ की बारिश तिरी इकराम का दरिया तिरा
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
बहार आई कर ऐ बाग़बाँ गुलाब क़लम
कि लिक्खे वस्फ़-ए-रुख़-ए-यार की किताब क़लम
पीर शेर मोहम्मद आजिज़
ग़ज़ल
मियान-ए-कार-ए-दुनिया हम से दिल नाशाद क्या करते
हमें वो याद कब आया उसे हम याद क्या करते
पीरज़ादा क़ासीम
ग़ज़ल
मियान-ए-कार-ए-फ़न लफ़्ज़ों की क़िस्मत जाग उठती है
ग़ज़ल तख़्लीक़ करता हूँ मोहब्बत जाग उठती है
पीरज़ादा क़ासीम
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
अहल-ए-वफ़ा से तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ कर लो पर इक बात कहें
कल तुम इन को याद करोगे कल तुम इन्हें पुकारोगे