आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "banjaare"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "banjaare"
ग़ज़ल
इस नगरी में क्यूँ मिलती है रोटी सपनों के बदले
जिन की नगरी है वो जानें हम ठहरे बंजारे लोग
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
पुर-नम आँखों बोझल दिल से कितनी बार विदाई ली
कितना बोझ लिए फिरते हैं हम जैसे बंजारे लोग
अज़रा नक़वी
ग़ज़ल
सख़्त चटानें शीशा पानी गुल-बूटे सब ज़ाएअ' थे
संग-ओ-शजर को मा'नी दे गई तान किसी बंजारे की
ज़ेब ग़ौरी
ग़ज़ल
हक़ीक़त जान लो ये फिर ग़मों से राब्ता रखना
ये बंजारे हैं ये अक्सर ठिकाना छोड़ देते हैं
रितेश सिंह 'राहिल'
ग़ज़ल
उन की कोई ठोर नहीं है साँझ कहीं हैं भोर कहीं
प्रीत के रोगे बंजारे हैं बस्ती हो या बन बाबा