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ग़ज़ल
ऐसी तारीकियाँ आँखों में बसी हैं कि 'फ़राज़'
रात तो रात है हम दिन को जलाते हैं चराग़
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं
मेरे बुझने का नज़्ज़ारा करने आ जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
दिल में इक तस्वीर छुपी थी आन बसी है आँखों में
शायद हम ने आज ग़ज़ल सी बात लिखी है आँखों में