आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "be-hech"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "be-hech"
ग़ज़ल
हम मस्त-ए-इश्क़ वाइ'ज़ बे-हेच भी नहीं हैं
ग़ाफ़िल जो बे-ख़बर हैं कुछ उन को भी ख़बर है
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
दैर-ओ-हरम भी हेच हैं और हेच बाग़-ओ-राग़
कोई जगह हो बे तिरे ऐ ला-मकाँ है हेच
श्याम सुंदर लाल बर्क़
ग़ज़ल
जी हेच जान हेच न दिल ने जिगर अज़ीज़
सब से सिवा है वस्ल तिरा फ़ित्ना-गर अज़ीज़
क़ुर्बान अली सालिक बेग
ग़ज़ल
वो दिल है हेच दर्द-ए-मोहब्बत अगर न हो
किस काम का वो दर्द अगर चश्म तर न हो
महाराजा सर किशन परसाद शाद
ग़ज़ल
मता-ए-बे-बहा आँसू ज़मीं में बो दिया था
पलट कर जब तिरा घर मैं ने देखा रो दिया था
मोहम्मद इज़हारुल हक़
ग़ज़ल
'उम्र बे-‘इश्क़ जो गुज़री वो रही बे-हासिल
हेच है 'इश्क़ अगर 'उम्र का हासिल न बना
सिकंदर अली वज्द
ग़ज़ल
महव-ए-हैरत हूँ कि आख़िर ये तमाशा क्या है
सुब्ह ख़ुद पूछ रही है कि उजाला क्या है
हबीब अहमद अंजुम दतियावी
ग़ज़ल
बस कि हों हेच-मदाँ उस पे मैं करता हूँ घमंड
बे-कमाली में मुझे अपनी कमाल अपना है