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ग़ज़ल
मैं हर बे-जान हर्फ़-ओ-लफ़्ज़ को गोया बनाता हूँ
कि अपने फ़न से पत्थर को भी आईना बनाता हूँ
अनवर जलालपुरी
ग़ज़ल
हुस्न के डंके की धूम जग में पड़ी जा-ब-जा
क्यूँ न बजे दिल मने इश्क़ की नौबत सदा