aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "be-nazar"
ले गया हमराह अपने वो मकाँ और बाम-ओ-दरहै नज़र सब कुछ मगर इक बे-मकानी दे गया
मुल्तफ़ित कोई हो रहा है 'नज़र'लुत्फ़ और बे-हिसाब होने दो
बे-नियाज़-ए-ग़म-ए-उक़्बा जो 'नज़र' तुझ को करेआल-ओ-औलाद वो अच्छी न वो माल अच्छा है
दिल लूटने के बा'द 'नज़र' कह रहे हैं वोहाँ हम ने बे-क़रार किया क्या बुरा किया
'नज़र' ने ख़ुद भी देखा है जमाल-ए-यार का आलमजो उन के रू-ब-रू पहुँचा वही कुछ बे-क़रार आया
अंजाम-ए-इश्क़ देख रहा हूँ 'नज़र' से आजमैं बे-ख़ुदी में अपने ही साए से डर गया
कटते रहे दीवारों के साए से 'नज़र' हमइस राहत-ए-बे-रंग के तालिब भी नहीं थे
फ़क़ीह-ए-शहर से क़त-ए-नज़र कभी तो 'नज़र'तू मेरे अश्क की बे-हर्फ़ दास्ताँ में उतर
किरदार बे-कशिश है नुमाइश की धूप में'अरशद' नज़र में क़ीमती पोशाक हो गए
मैं नज़र से एक अंदाज़-ए-नज़र होता हुआकौन है दिन रात मुझ में बे-ख़बर होता हुआ
ये चराग़ बे-नज़र है ये सितारा बे-ज़बाँ हैअभी तुझ से मिलता-जुलता कोई दूसरा कहाँ है
जिन को नहीं थी दौलत-ए-एहसास तक नसीबतकरीम-ए-बे-नज़र में वही देवता रहे
क़यामत का होगा वो मंज़र जहाँ तकपहुँचते हैं सब बे-नज़र जाने वाले
इस तरह खींची है मेरे गिर्द दीवार-ए-ख़बरसारे दुश्मन रौज़नों को बे-नज़र उस ने किया
वो है बे-नज़र 'पाशी' उस को क्या ख़बर 'पाशी'कितने दिल सुलगते हैं इक दिया बुझाने से
नज़र आया न कोई भी इधर देखा उधर देखावहाँ पहुँचे तो अपने आप को भी बे-नज़र देखा
कमान छोड़ गए बे-नज़ीर जितने थेलगे हैं ठीक निशाने पे तीर जितने थे
मिसाल अपनी बड़ी बे-नज़ीर रखता हूँमैं अपने आप को ख़ुद का असीर रखता हूँ
'नज़ीर' कह कि न कह बे-नज़ीर कितना हूँमिसाल दे कि मैं रौशन-ज़मीर कितना हूँ
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