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ग़ज़ल
मुझ पर वो बे-तौर ख़फ़ा हैं ग़ैरों के बहकाने से
मिलना कैसा बात कहाँ की बंद है आना जाना भी
हबीब मूसवी
ग़ज़ल
मिर्ज़ा आसमान जाह अंजुम
ग़ज़ल
अगरचे मुझ को बे-तौक़-ओ-रसन-बस्ता नहीं छोड़ा
किसी क़ैदी को उस ने इस क़दर सस्ता नहीं छोड़ा
इक़बाल कौसर
ग़ज़ल
वक़्त जैसा है ब-हर-तौर गुज़र जाना है
आज जो ज़िंदा हक़ीक़त है कल अफ़्साना है