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ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
मुझे पता है मुझे मनाने को तुम भी बेचैन हो रहे हो
तो क्या ज़रूरी है तुम भी इतने भरम दिखाओ मुझे मनाओ
आमिर अमीर
ग़ज़ल
इक नज़र नज़अ में देखी थी किसी की सूरत
मुद्दतों क़ब्र में बेचैन दिल-ए-ज़ार रहा