आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "betaabii"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "betaabii"
ग़ज़ल
छुपाए से कोई छुपती है अपने दिल की बेताबी
कि हर तार-ए-नफ़स अपना रग-ए-बिस्मिल से मिलता है
दाग़ देहलवी
ग़ज़ल
बे-ताबी कुछ और बढ़ा दी एक झलक दिखला देने से
प्यास बुझे कैसे सहरा की दो बूँदें बरसा देने से
जलील ’आली’
ग़ज़ल
दिल-ए-'मुज़्तर' की बेताबी से दम उलझे तो वापस दो
अगर मर्ज़ी भी हो और दिल न घबराए तो रहने दो
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
रखते हैं मिरे दिल पर क्यूँ तोहमत-ए-बेताबी
याँ नाला-ए-मुज़्तर की जब मुझ में हो क़ुव्वत भी
हसरत मोहानी
ग़ज़ल
अफ़्सून-ए-तमन्ना से बेदार हुई आख़िर
कुछ हुस्न में बे-ताबी कुछ 'इश्क़ में ज़ेबाई
सूफ़ी ग़ुलाम मुस्ताफ़ा तबस्सुम
ग़ज़ल
तोड़ कर बैठा हूँ राह-ए-शौक़ में पा-ए-तलब
देखना है जज़्बा-ए-बे-ताबी-ए-मंज़िल मुझे
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
पड़ा रह ऐ दिल-ए-वाबस्ता बेताबी से क्या हासिल
मगर फिर ताब-ए-ज़ुल्फ़-ए-पुर-शिकन की आज़माइश है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
अगर सीने में दिल रखते हो तुम तो आज बतला दो
तुम्हें भी मेरी बेताबी कभी महसूस होती है