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ग़ज़ल
ज़माने में कभी भी क़िस्मतें बदला नहीं करतीं
उमीदों से भरोसों से दिलासों से सहारों से
कैफ़ भोपाली
ग़ज़ल
ज़माने में कभी भी क़िस्मतें बदला नहीं करतीं
उमीदों से भरोसों से दिलासों से सहारों से
कैफ़ भोपाली
ग़ज़ल
इश्क़ ओ मोहब्बत क्या होते हैं क्या समझाऊँ वाइज़ को
भैंस के आगे बीन बजाना मेरे बस की बात नहीं