आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bharnii"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "bharnii"
ग़ज़ल
चाहत जी का रोग है प्यारे जी को रोक लगाओ क्यूँ
जैसी करनी वैसी भरनी अब इस पर पछताओ क्यूँ
सज्जाद बाक़र रिज़वी
ग़ज़ल
जैसी करनी वैसी भरनी रीत चली ये आई है
'आम नहीं उगते हैं प्यारे बीज बबूल के बोने से
हीरालाल यादव हीरा
ग़ज़ल
भरम खुल जाए ज़ालिम तेरे क़ामत की दराज़ी का
अगर इस तुर्रा-ए-पुर-पेच-ओ-ख़म का पेच-ओ-ख़म निकले