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ग़ज़ल
बिसात-ए-दहर पे इक सख़्त इम्तिहान में हूँ
शिकस्ता-पर हूँ मगर फिर भी मैं उड़ान में हूँ
इक़बाल नदीम
ग़ज़ल
बिसात-ए-दहर में ग़ाफ़िल भला जीने का हासिल क्या
कि मरना भी जहाँ पर हो वबाल-ए-दोश हो जाना
अफ़क़र मोहानी
ग़ज़ल
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
बिसात-ए-दहर सही जल्वा-गाह-ए-हुस्न-ए-अज़ल
निगाह-ए-शौक़ फ़ुग़ाँ-संज-ए-तिश्नगी क्यूँ है
हबीब अहमद सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
चराग़-ए-ज़िंदगी है या बिसात-ए-आतिश-ए-रफ़्ता
जला कर रौशनी दहलीज़-ए-जाँ पर सोचते रहना