आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bor"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "bor"
ग़ज़ल
हसन अब्बास रज़ा
ग़ज़ल
मुंतज़िर फ़िरोज़ाबादी
ग़ज़ल
एक बुज़ुर्ग कहा करते थे हर बरसात के मौसम में
अब की बार नहीं है वैसा अंधा ज़ोर हवाओं का
क़ासिम हयात
ग़ज़ल
कभी तो सुब्ह तिरे कुंज-ए-लब से हो आग़ाज़
कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्क-बार चले