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ग़ज़ल
नासिर काज़मी
ग़ज़ल
बुरे अच्छे हों जैसे भी हों सब रिश्ते यहीं के हैं
किसी को साथ दुनिया से कोई ले कर नहीं जाता
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
फला-फूला रहे या-रब चमन मेरी उमीदों का
जिगर का ख़ून दे दे कर ये बूटे मैं ने पाले हैं
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
बहुत बुरे हो मिरी दिखावे की नींद को भी तुम अस्ल समझे
कहीं से सीखो पियार करना मुझे जगाओ मुझे मनाओ
आमिर अमीर
ग़ज़ल
मनअ' क्यूँ करते हो इश्क़-ए-बुत-ए-शीरीं-लब से
क्या मज़े का है ये ग़म दोस्तो ग़म खाने दो