आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "buute"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "buute"
ग़ज़ल
फला-फूला रहे या-रब चमन मेरी उमीदों का
जिगर का ख़ून दे दे कर ये बूटे मैं ने पाले हैं
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
मनअ' क्यूँ करते हो इश्क़-ए-बुत-ए-शीरीं-लब से
क्या मज़े का है ये ग़म दोस्तो ग़म खाने दो
मियाँ दाद ख़ां सय्याह
ग़ज़ल
पहले भी ख़िज़ाँ में बाग़ उजड़े पर यूँ नहीं जैसे अब के बरस
सारे बूटे पत्ता पत्ता रविश रविश बर्बाद हुए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
क्यूँ दिया दिल उस बुत-ए-कमसिन को ऐसे वक़्त में
दिल सी शय जिस के लिए बस इक खिलौना है अभी
मुनीर नियाज़ी
ग़ज़ल
सज्दे तिरे कहने से मैं कर लूँ भी तो क्या हो
तू ऐ बुत-ए-काफ़िर न ख़ुदा है न ख़ुदा हो
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
नसीम-ए-मिस्र को क्या पीर-ए-कनआँ' की हवा-ख़्वाही
उसे यूसुफ़ की बू-ए-पैरहन की आज़माइश है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
और अपने हक़ में ता'न-ए-तग़ाफ़ुल ग़ज़ब हुआ
ग़ैरों से मुल्तफ़ित बुत-ए-ख़ुद-काम हो गया
इस्माइल मेरठी
ग़ज़ल
सू-ए-दोज़ख़ बुत-ए-काफ़िर को जो जाते देखा
हम ने जन्नत से कहा हाए उधर क्यूँ न गए