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ग़ज़ल
अपने अंदर हँसता हूँ मैं और बहुत शरमाता हूँ
ख़ून भी थूका सच-मुच थूका और ये सब चालाकी थी
जौन एलिया
ग़ज़ल
मुंतज़िर फ़िरोज़ाबादी
ग़ज़ल
जो चालाकी से पढ़ लोगे तो चेहरा सब बता देगा
मिलाओ हाथ जब उस से नज़र चेहरे पे भी रखना
इन्तिज़ार ग़ाज़ीपुरी
ग़ज़ल
मिरी मय्यत पे मातम करते हो अल्लाह-रे चालाकी
ख़बर है ख़ुद तुम्हें मुद्दत से मैं बीमार था क्या था
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
'मुंतही' ज़ोर-ए-बदन क़ुव्वत-ए-दिल चालाकी
एक आने से ज़ईफ़ी के गया क्या क्या कुछ
मिर्ज़ा मासिता बेग मुंतही
ग़ज़ल
इश्वा चालाकी करिश्मा नाज़ ग़म्ज़ा यार का
गरचे है क़हर-ए-ख़ुदा पर दिल को मेरे भाएगा
किशन कुमार वक़ार
ग़ज़ल
क़द-ए-मौज़ूँ पे ज़ुल्फ़ों ने हवा से की जो चालाकी
नज़र आया तसलसुल साफ़ आशोब-ए-क़यामत का
मुंशी खैराती लाल शगुफ़्ता
ग़ज़ल
वाए क़िस्मत पाँव की ऐ ज़ोफ़ कुछ चलती नहीं
कारवाँ अपना अभी तक पहली ही मंज़िल में है