आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "chaaval"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "chaaval"
ग़ज़ल
गेहूँ चावल बाँटने वाले झूटा तौलें तो क्या बोलें
यूँ तो सब कुछ अंदर बाहर जितना तेरा उतना मेरा
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
मजबूरी के चावल भूने लाचारी दो मुट्ठी डाली
हम ने खाया ग़म को अपने फिर गुड़-धानी करते करते
हेमा काण्डपाल हिया
ग़ज़ल
भला चावल भी ऐसी कोई ने'मत थी न देती मैं
मिरी भित्ति में काम आए बुआ घर में जो इक तिल हो