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ग़ज़ल
सबा अकबराबादी
ग़ज़ल
कब तक दिल की ख़ैर मनाएँ कब तक रह दिखलाओगे
कब तक चैन की मोहलत दोगे कब तक याद न आओगे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
बज़्म-ए-अहबाब में हासिल न हुआ चैन मुझे
मुतमइन दिल है बहुत, जब से अलग बैठा हूँ
पीर नसीरुद्दीन शाह नसीर
ग़ज़ल
इल्म के दरिया से निकले ग़ोता-ज़न गौहर-ब-दस्त
वाए महरूमी ख़ज़फ़ चैन लब साहिल हूँ मैं
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
निगाहों के तक़ाज़े चैन से मरने नहीं देते
यहाँ मंज़र ही ऐसे हैं कि दिल भरने नहीं देते
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
कहाँ गर्दिश फ़लक की चैन देती है सुना 'इंशा'
ग़नीमत है कि हम सूरत यहाँ दो-चार बैठे हैं