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ग़ज़ल
मेरी उम्मीदों से लिपटे रहे अंदेशों के साँप
उम्र हर दौर में कटती रही चंदन बन के
अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा
ग़ज़ल
बीन हवा के हाथों में है लहरे जादू वाले हैं
चंदन से चिकने शानों पर मचल उठे दो काले हैं
अमीक़ हनफ़ी
ग़ज़ल
करें हम किस की पूजा और चढ़ाएँ किस को चंदन हम
सनम हम दैर हम बुत-ख़ाना हम बुत हम बरहमन हम
फैज़ दकनी
ग़ज़ल
अगर ख़ुशबू मुलाक़ातों की साँसों में नहीं तो क्या
मेरे दिल में किसी की याद का चंदन महकता है
संदीप ठाकुर
ग़ज़ल
ख़ुद ही साँपों को बुला लेते हो अपने घर में
पेड़ चंदन के तुम आँगन में लगाया न करो
हाजरा नूर ज़रयाब
ग़ज़ल
कहीं चंदन महकता है कहीं केसर महकता है
ये ख़ुशबू है बुज़ुर्गों की जो मेरा घर महकता है
चन्द्र शेखर वर्मा
ग़ज़ल
उस को छू कर लौट रहा हूँ महक रहा है जिस्म ऐसे
जैसे महक रही हो धूनी कस्तूरी और चंदन भी
विजय शर्मा
ग़ज़ल
तमईज़-ए-कमाल-ओ-नक़्स उठा ये तो रौशन है दुनिया पर
मैं चंदन हूँ तू कुंदन है मैं मिट्टी हूँ तू सोना है