आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "chau"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "chau"
ग़ज़ल
घट घाट अंधेरा है कैसे बाँधोगे कहाँ नय्या अपनी
आवाज़ किसे दोगे 'क़ैसी' चौ-धाम यहाँ सन्नाटा है
अज़ीज़ क़ैसी
ग़ज़ल
मुहिउद्दीन गुल्फ़ाम
ग़ज़ल
लगाई आग उन के हुस्न-ए-आलम-सोज़ ने हर-सू
जलाने चौ-लखा बैठे हैं यूँ कोरे सकोरों में
आशिक़ अकबराबादी
ग़ज़ल
ईरानी ग़ालीचे के चौ-गर्द नशिस्तें क़ाएम हों
काफ़ूरी शम्ओं' से रौशन पैहम अहल-ए-हस्त रहें
अहमद जहाँगीर
ग़ज़ल
ज़ुल्फ़ है पस्त जो गेसू से तो ये काकुल से
चौ-गुने मर्तबा में इस से है तुर्रा ऊँचा
किशन कुमार वक़ार
ग़ज़ल
पत्ते पत्ते बूटे बूटे पर लिक्खा है नाम उस का
मैं भी चौ-रस्ते पर खड़ा हूँ अपना पता बताने को