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ग़ज़ल
दिलों पर सैकड़ों सिक्के तिरे जोबन के बैठे हैं
कलेजों पर हज़ारों तीर इस चितवन के बैठे हैं
दाग़ देहलवी
ग़ज़ल
चाँद सा चेहरा नूर की चितवन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह
तुर्फ़ा निकाला आप ने जोबन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह
अमीर मीनाई
ग़ज़ल
हंगाम-ए-जल्वा उस के मुश्किल है ठहरे रहना
चितवन है दिल की आफ़त-ए-चश्मक बला-ए-जाँ है
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
बाँकी-चितवन वाले महशर में हज़ारों हैं तो हों
मिल ही जाएगा किसी सूरत से क़ातिल का पता
आरज़ू लखनवी
ग़ज़ल
जवानी ने दिए हैं उन को ला कर हम-नशीं क्या क्या
अदा में नाज़ चितवन में हया आँखों में मस्ती है
जलील मानिकपूरी
ग़ज़ल
गो वो महफ़िल में न बोला पा गए चितवन से हम
आज कुछ उस रौनक़-ए-महफ़िल के दिल में और है
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
कभी चितवन से अन-बन है कभी सौदा है गेसू का
नसीबों की ये शामत है कि शामत आ ही जाती है
ज़हीर देहलवी
ग़ज़ल
अदाएँ बाँकी अजब तरह की वो तिरछी चितवन भी कुछ तमाशा
भंवें वो जैसे खिंची कमानें पलक सिनाँ-कश निगाह भाला
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
नाज़ हो या दिलबरी अफ़्सूँ हो या जादूगरी
सब को क़ुदरत ने तिरी चितवन का हिस्सा कर दिया
जलील मानिकपूरी
ग़ज़ल
कन-अँखियों की निगह गुपती इशारत क़हर चितवन के
जो वूँ देखा तो बर्छी है जो यूँ देखा तो भाला है