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ग़ज़ल
अमीर ख़ुसरो
ग़ज़ल
वो ले लें गोशा-ए-दामन में अपने या फ़लक चुन ले
मिरी आँखों में आँसू बार बार आया नहीं करते
नुशूर वाहिदी
ग़ज़ल
मेरी चुप रहने की आदत जिस कारन बद-नाम हुई
अब वो हिकायत आम हुई है सुनता जा शरमाता जा
हफ़ीज़ जालंधरी
ग़ज़ल
शबीना अदीब
ग़ज़ल
लोग अपनी किर्चियाँ चुन चुन के आगे बढ़ गए
मैं मगर सामान इकट्ठा करता तन्हा रह गया