aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "chup-chaap"
मैं उम्र के रस्ते में चुप-चाप बिखर जाताइक दिन भी अगर अपनी तन्हाई से डर जाता
वो चुप-चाप आँसू बहाने की रातेंवो इक शख़्स के याद आने की रातें
हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ सुना जाएकभी तो हौसला कर के नहीं कहा जाए
मैं ने चुप-चाप सुन लिया ख़ुद कोमुद्दतों बा'द कुछ कहा ख़ुद को
सो गई चुप-चाप लम्बी रहगुज़ररफ़्ता-रफ़्ता फिर वही अंधा सफ़र
अब तिरे शहर से चुप-चाप गुज़रना होगाज़िंदा होते हुए हर मोड़ पे मरना होगा
चुप-चाप सुलगता है दिया तुम भी तो देखोकिस दर्द को कहते हैं वफ़ा तुम भी तो देखो
पहले चुप-चाप मुझे तकता रहा दरवाज़ाजूँही मैं जाने लगा बोल पड़ा दरवाज़ा
जब से हम चुप-चाप घर रहने लगेक्या कहें दीवार-ओ-दर कैसे लगे
ये मेरे पास जो चुप-चाप आए बैठे हैंहज़ार फ़ित्ना-ए-महशर उठाए बैठे हैं
ऐसे छूते हैं तसव्वुर में तुझे हम चुप-चापजैसे फूलों को छुआ करती है शबनम चुप-चाप
चुप-चाप हब्स-ए-वक़्त के पिंजरे में मर गयाझोंका हवा का आते ही कमरे में मर गया
इतना चुप-चाप तअल्लुक़ पे ज़वाल आया थादिल ही रोया था न चेहरे पे मलाल आया था
सीने पर रख हिजरत का पत्थर चुप-चापघर में रह और छोड़ दे अपना घर चुप-चाप
चुप-चाप तू मस्ती में यहाँ अपनी उड़े जाहर बात पे ख़ुश रह के तू हर दम ही हँसे जा
चुप-चाप अंजुमन से कहाँ जा रहे हैं लोगकुछ तो हुआ है ऐसा कि पछता रहे हैं लोग
यूँही चुप-चाप कहीं बैठ के मैं रो लूँगातेरे आँगन की तरफ़ खिड़की नहीं खोलूँगा
वो भी चुप-चाप है इस बार ये क़िस्सा क्या हैतुम भी ख़ामोश हो सरकार ये क़िस्सा क्या है
नज़र बचा के वो हम से गुज़र गए चुप-चापअभी यहीं थे न जाने किधर गए चुप-चाप
चुप-चाप निकल आए थे सहरा की तरफ़ हमचलते हुए क्या देखते दुनिया की तरफ़ हम
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books