आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "daastaan-e-shauq"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "daastaan-e-shauq"
ग़ज़ल
राएगाँ होने न दो ऐ 'शौक़' तुम वक़्त-ए-अज़ीज़
ये वो शय है जो नहीं मिलती है खो जाने के बाद
शौक़ देहलवी मक्की
ग़ज़ल
'आसी' ज़बान-ए-ख़ामुशी में दास्तान-ए-शौक़
हम ने कही है बारहा उस ने सुनी नहीं
पंडित विद्या रतन आसी
ग़ज़ल
'आसी' ज़बान-ए-ख़ामुशी में दास्तान-ए-शौक़
हम ने कही है बारहा उस ने सुनी नहीं
पंडित विद्या रतन आसी
ग़ज़ल
दास्तान-ए-शौक़ है अपने लहू से लाला-रंग
हर ज़माने में हमीं उन्वान-ए-अफ़्साना रहे