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ग़ज़ल
जा रहे हो छोड़ कर 'मज़हर' उसे तो सोच लो
फूल में लौटी है कब ख़ुश्बू बिखर जाने के बा'द
मज़हर अब्बास
ग़ज़ल
हो न जाए वो कहीं 'इश्क़ में रुस्वा आख़िर
मैं ने कुछ सोच के ही बदला है रस्ता आख़िर
शमशाद कुकरावी
ग़ज़ल
दिल कितना आबाद हुआ जब दीद के घर बरबाद हुए
वो बिछड़ा और ध्यान में उस के सौ मौसम ईजाद हुए
जौन एलिया
ग़ज़ल
दिल के का'बे को गिरा देता है डरता भी नहीं
कौन है हज्जाज-बिन-यूसुफ़ जो मरता भी नहीं
इक़तिदार जावेद
ग़ज़ल
सहूँ न हिज्र के सदमे कभी विसाल के बाद
कोई ख़याल नहीं दिल में इस ख़याल के बाद