आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "dastaane"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "dastaane"
ग़ज़ल
मुझे आप क्यूँ न समझ सके ये ख़ुद अपने दिल ही से पूछिए
मिरी दास्तान-ए-हयात का तो वरक़ वरक़ है खुला हुआ
इक़बाल अज़ीम
ग़ज़ल
अयाँ कर दी हर इक पर हम ने अपनी दास्तान-ए-दिल
ये किस किस से छुपानी है न तुम समझे न हम समझे
सबा अकबराबादी
ग़ज़ल
ग़ाफ़िलों को क्या सुनाऊँ दास्तान-ए-इश्क़-ए-यार
सुनने वाले मिलते हैं दर्द-आश्ना मिलता नहीं
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
वो बद-ख़ू और मेरी दास्तान-ए-इश्क़ तूलानी
इबारत मुख़्तसर क़ासिद भी घबरा जाए है मुझ से
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
निकहत-ए-ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ दास्तान-ए-शाम-ए-ग़म
सुब्ह होने तक इसी अंदाज़ की बातें करो
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
फ़क़त तुम से ही करता हूँ मैं सारी राज़ की बातें
हर इक को दास्तान-ए-दिल सुना कर कुछ नहीं मिलता
वसी शाह
ग़ज़ल
ज़माने के वरक़ पर अब लिखूँगा दास्तान-ए-ग़म
ज़बाँ भी आ गई मुझ को किताबों की रिसालों की
अर्पित शर्मा अर्पित
ग़ज़ल
मुख़्तसर ये है हमारी दास्तान-ए-ज़िंदगी
इक सुकून-ए-दिल की ख़ातिर उम्र भर तड़पा किए
मुईन अहसन जज़्बी
ग़ज़ल
दास्तान-ए-जौर-ए-बेहद ख़ून से लिखता रहा
क़तरा क़तरा अश्क-ए-ग़म का बे-कराँ बनता गया