आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "daur e jadeed men"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "daur e jadeed men"
ग़ज़ल
दौर-ए-जदीद है सारे राँझे अपने अपने मोबाइल पर
अपनी अपनी हीर को तकते तकते थक कर सो जाते हैं
शब्बीर एहराम
ग़ज़ल
हो यक़ीन यारों पे किस तरह सभी आस्तीनों के साँप हैं
ऐ 'सलीम' दौर-ए-जदीद में कहीं नाम को भी वफ़ा नहीं
सलीम सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
दौर-ए-जदीद पर भी हो शे'रों में तब्सिरा
फ़िक्र-ए-सुख़न में लाइए अब कुछ निखार भी
सय्यद शारिक़ अक्स
ग़ज़ल
क्या वज्ह तेरे ज़ुल्म-ओ-सितम में मज़ा नहीं
ऐ दौर-ए-चर्ख़ आज वो शायद नहीं शरीक
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
क्या जाने कब वो सुब्ह-ए-बहाराँ हो जल्वा-गर
दौर-ए-ख़िज़ाँ में जिस से बहलते रहे हैं हम