aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "dhalne"
रात ढलने के ब'अद क्या होगादिन निकलने के ब'अद क्या होगा
सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने कायही तो वक़्त है सूरज तिरे निकलने का
क्यूँ मेरा मुक़द्दर है उजालों की सियाहीक्यूँ रात के ढलने पे सवेरा नहीं होता
चाँद में ढलने सितारों में निकलने के लिएमैं तो सूरज हूँ बुझूँगा भी तो जलने के लिए
शाम ढलने से फ़क़त शाम नहीं ढलती हैउम्र ढल जाती है जल्दी पलट आना मिरे दोस्त
न आया कोई लब-ए-बाम शाम ढलने लगीवुफ़ूर-ए-शौक़ से आँखों में ख़ून आ भी गया
सिर्फ़ दिन ढलने पे मौक़ूफ़ नहीं है 'मोहसिन'ज़िंदगी ज़ुल्फ़ के साए में भी शब करती है
बिखर गए मुझे साँचे में ढालने वालेयहाँ तो ज़ात भी साँचे समेत ढलती है
भीड़ में जो बिछड़ गए हम सेशाम ढलने का इंतिज़ार करें
ये हवा सारे चराग़ों को उड़ा ले जाएगीरात ढलने तक यहाँ सब कुछ धुआँ हो जाएगा
किसी के रंग में ढलने से हो गए बे-रंगहम अपने रंग बनाते थे मौज करते थे
'नासिर' उदासियाँ तो रहेंगी यूँही मुदामढलने लगी है रात कोई गीत गाइए
साए ढलने चराग़ जलने लगेलोग अपने घरों को चलने लगे
तमाम रात वो जागा किसी के वा'दे परवफ़ा को आ ही गई नींद रात ढलने पर
आँखों में बसा लो ये उभरता हुआ सूरजदिन ढलने लगेगा तो ये मंज़र न मिलेगा
उस ने पैकर में न ढलने की क़सम खाई हैऔर मुझे शौक़-ए-मुलाक़ात लिए फिरता है
रौशनी क्यूँ सियाही में ढलने लगीतुझ से 'आरिफ़' हुई क्या ख़फ़ा ज़िंदगी
कोई इस रात को ढलने से रोकेमिरा क़िस्सा अभी रहता बहुत है
जब आफ़ताब-ए-उम्र की ढलने लगेगी धूपतब रौशनी का फ़न मिरे बालों में आएगा
चम्पई सुब्हें पीली दो-पहरें सुरमई शामेंदिन ढलने से पहले कितने रंग बदलता है
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