aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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उस की उमीद-ए-नाज़ का हम से ये मान था कि आपउम्र गुज़ार दीजिए उम्र गुज़ार दी गई
थी मश्वरत की हम को बसाना है घर नयादिल ने कहा कि मेरे दर-ओ-बाम ढाइए
यूँ दीजिए फ़रेब-ए-मोहब्बत कि उम्र भरमैं ज़िंदगी को याद करूँ ज़िंदगी मुझे
आगे तो आने दीजिए रस्ता तो छोड़िएहम कौन हैं ये सामने आ कर बताएँगे
उस की उमीद-ए-नाज़ का मुझ से ये मान था कि आपउम्र गुज़ार दीजिए उम्र गुज़ार दी गई
भूले से मुस्कुरा तो दिए थे वो आज 'फ़ैज़'मत पूछ वलवले दिल-ए-ना-कर्दा-कार के
बे-असर नाले नहीं आप का डर है मुझ कोअभी कह दीजिए फिर देखिए क्या होता है
इतना तो दोस्ती का सिला दीजिए मुझेअपना समझ के ज़हर पिला दीजिए मुझे
काफ़िर हूँ सर-फिरा हूँ मुझे मार दीजिएमैं सोचने लगा हूँ मुझे मार दीजिए
बस इंतिहा है छोड़िए बस रहने दीजिएख़ुद अपने ए'तिमाद से शर्मा गया हूँ मैं
अश्क-ए-ग़म ले के आख़िर किधर जाएँ हम, आँसुओं की यहाँ कोई क़ीमत नहींआप ही अपना दामन बढ़ा दीजिए, वर्ना मोती ज़मीं पर बिखर जाएँगे
अब दिल बुझा बुझा है मुझे मार दीजिएजीने में क्या रखा है मुझे मार दीजिए
लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिएआप फिर मुस्कुरा दीजिए
समझ तो लीजिए कहने तो दीजिए मतलबबयाँ से पहले ही मुझ पर छुरी निकलती है
इक बोसा दीजिए मिरा ईमान लीजिएगो बुत हैं आप बहर-ए-ख़ुदा मान लीजिए
राह की कुछ तो रुकावट यार कम कर दीजिएआप अपने घर की इक दीवार कम कर दीजिए
दुश्मन का ज़िक्र क्या है जवाब उस का दीजिएरस्ते में कल मिले थे किसी आदमी से आप
ख़ातिर-ए-महरूम को कर दीजिए महव-ए-अलमदर-पा-ए-ईज़ा-ए-जान-ए-मुब्तला हो जाइए
बोसा नहीं न दीजिए दुश्नाम ही सहीआख़िर ज़बाँ तो रखते हो तुम गर दहाँ नहीं
महफ़िल में आज मर्सिया-ख़्वानी ही क्यूँ न होआँखों से बहने दीजिए पानी ही क्यूँ न हो
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