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ग़ज़ल
इश्क़ क्या है ग़म-ए-हस्ती का फ़ना हो जाना
पैकर-ए-ख़ाक का मिट मिट के ख़ुदा हो जाना
क़ैसर अमरावतवी
ग़ज़ल
ग़म-ए-दुनिया ग़म-ए-हस्ती ग़म-ए-उल्फ़त ग़म-ए-दिल
कितने उन्वान मिले हैं मिरे अफ़्साने को
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
उस के ग़म को ग़म-ए-हस्ती तू मिरे दिल न बना
ज़ीस्त मुश्किल है उसे और भी मुश्किल न बना
हिमायत अली शाएर
ग़ज़ल
अबरार आबिद
ग़ज़ल
ग़म-ए-हस्ती न कुछ फ़िक्र-ए-दिल-ओ-जाँ है जहाँ मैं हूँ
कि हर हर गाम पर कोई निगहबाँ है जहाँ मैं हूँ
कैफ़ मुरादाबादी
ग़ज़ल
हफ़ीज़ुल्लाह ख़ान बद्र
ग़ज़ल
दिल की बर्बादी का रोना ऐ ग़म-ए-नाकाम क्या
इस तरह दर्द-ए-मोहब्बत को करें बदनाम क्या