आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "fa-aahaa"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "fa-aahaa"
ग़ज़ल
कुछ ऐसा पास-ए-ग़ैरत उठ गया इस अहद-ए-पुर-फ़न में
कि ज़ेवर हो गया तौक़-ए-ग़ुलामी अपनी गर्दन में
चकबस्त बृज नारायण
ग़ज़ल
ज़माना हो गया शातिर 'इराक़ी' पास अपना रख
जिन्हें बचने का फ़न आता है वो हुश्यार बैठे हैं
अब्बास इराक़ी
ग़ज़ल
यही ज़िंदगी है बुरी-भली ये कशीदा सर ये बरहना-पा
न ग़ुबार-ए-राह से मुज़्महिल न सुकून-ए-जाँ का इआदा है
अदा जाफ़री
ग़ज़ल
लफ़्ज़ रौशन करने के लाएँगे जब अंदाज़ हम
अहल-ए-'इल्म-ओ-फ़न में होंगे साहिब-ए-ए'ज़ाज़ हम
महमूद अशरफ़ मालेग
ग़ज़ल
बे-सर-ओ-पा शे'र कह कर ख़ुश था मैं आमिर-'अता'
'मीर' जी सपने में बोले शायरी ख़तरे में है
आमिर अता
ग़ज़ल
असली बात पे क्या फल आता हाहा-कार के मौसम में
सब ने बाग़ लगा रक्खा है अपने अपने मतलब का
हमीदा शाहीन
ग़ज़ल
वफ़ा की आस में दिल दे के पछताया नहीं करते
ये नख़्ल-ए-आरज़ू है इस में फल आया नहीं करते
रियासत अली ताज
ग़ज़ल
सीधे-सादे लोग हैं साहिब हम को ये फ़न आता नई
किस के पीछे किस के मुँह पर कैसी बातें करते हैं