aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "for"
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनेंजो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा
नहीं दुनिया को जब पर्वा हमारीतो फिर दुनिया की पर्वा क्यूँ करें हम
जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूदफिर ये हंगामा ऐ ख़ुदा क्या है
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकलेबहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
हम भी मजबूरियों का उज़्र करेंफिर कहीं और मुब्तला हो जाएँ
देखना मुझ को जो बरगश्ता तो सौ सौ नाज़ सेजब मना लेना तो फिर ख़ुद रूठ जाना याद है
दिल तो चमक सकेगा क्या फिर भी तरश के देख लेंशीशा-गिरान-ए-शहर के हाथ का ये कमाल भी
बा'द भी तेरे जान-ए-जाँ दिल में रहा अजब समाँयाद रही तिरी यहाँ फिर तिरी याद भी गई
रग-ए-संग से टपकता वो लहू कि फिर न थमताजिसे ग़म समझ रहे हो ये अगर शरार होता
हर रग-ए-ख़ूँ में फिर चराग़ाँ होसामने फिर वो बे-नक़ाब आए
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइलजब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
कितना आसाँ था तिरे हिज्र में मरना जानाँफिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते
दिन गुज़ारा था बड़ी मुश्किल सेफिर तिरा वादा-ए-शब याद आया
कहने को रहते हो दिल मेंफिर भी कितने दूर खड़े हो
जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़रकुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं
किसे है ख़्वाहिश-ए-मरहम-गरी मगर फिर भीमैं अपने ज़ख़्म दिखा लूँ अगर इजाज़त हो
फिर देखिए अंदाज़-ए-गुल-अफ़्शानी-ए-गुफ़्ताररख दे कोई पैमाना-ए-सहबा मिरे आगे
फिर बनाया ख़ुदा ने आदम कोअपनी सूरत पे ऐसी सूरत में
पेड़ पर पक गया है फल शायदफिर से पत्थर उछालता है कोई
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books