आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "gard-e-maslahat"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "gard-e-maslahat"
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
मैं ने इक हक़ बात कह दी थी ख़िलाफ़-ए-मस्लहत
तब से सुनता हूँ ख़फ़ा हैं मेरे हम-साए बहुत
एम ए क़दीर
ग़ज़ल
सारे दिन करते हैं हम दश्त-ए-तमन्ना का सफ़र
गर्द चेहरे पे लिए शाम को घर आते हैं
सय्यदा शान-ए-मेराज
ग़ज़ल
मिरी हमसरी का ख़याल क्या मिरी हम-रही का सवाल क्या
रह-ए-इश्क़ का कोई राह-रौ मिरी गर्द को भी न पा सका
नरेश एम. ए
ग़ज़ल
फ़ी-ज़माना है यही मस्लहत-ए-अक़्ल-ओ-शुऊर
दिल में ख़्वाहिश कोई उभरे तो दबा ली जाए
शान-ए-हैदर बेबाक अमरोहवी
ग़ज़ल
आले रज़ा रज़ा
ग़ज़ल
गर्द उड़ाई जो सियासत ने वो आख़िर धुल गई
अहल-ए-दिल की ख़ाक में भी ज़िंदगी पाई गई