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ग़ज़ल
लगने न दे बस हो तो उस के गौहर-ए-गोश को बाले तक
उस को फ़लक चश्म-ए-मह-ओ-ख़ुर की पुतली का तारा जाने है
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
हुज़ूर-ए-नाज़ अबस है ख़याल-ए-जाँ 'गौहर'
नियाज़ महरम-ए-ख़म्याज़ा-ए-नियाज़ तो हो
गौहर होशियारपुरी
ग़ज़ल
ज़र्फ़-ए-ईज़ा-तलबी ग़म भी परख लें 'गौहर'
उस से इक रोज़ न मिलने का इरादा भी तो हो
गौहर होशियारपुरी
ग़ज़ल
कहाँ वो शोख़ मगर अपना नुत्क़-ओ-लब 'गौहर'
उसी का ज़िक्र पए-ज़ेब-ए-गुफ़्तुगू माँगे
गौहर होशियारपुरी
ग़ज़ल
ख़ामा-ए-सुख़नवर या जज़्ब-ए-अंदरूँ 'गौहर'
फ़न के सर पे रखता है ताज-ए-अज़्मत-ए-फ़न कौन