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ग़ज़ल
चाँद ही तारों की झुरमुट में ज़रा देख ऐ दिल
गौन में शोख़-ए-नसारा की ये बू ताम नहीं
हातिम अली मेहर
ग़ज़ल
कभी लौट आएँ तो पूछना नहीं देखना उन्हें ग़ौर से
जिन्हें रास्ते में ख़बर हुई कि ये रास्ता कोई और है
सलीम कौसर
ग़ज़ल
निगाह-ए-बादा-गूँ यूँ तो तिरी बातों का क्या कहना
तिरी हर बात लेकिन एहतियातन छान लेते हैं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
तहज़ीब हाफ़ी
ग़ज़ल
ग़ौर से देखते हैं तौफ़ को आहु-ए-हरम
क्या कहें उस के सग-ए-कूचा के क़ुर्बां होंगे