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मेरी हालत देखिए और उन की सूरत देखिए

जोश मलीहाबादी

मेरी हालत देखिए और उन की सूरत देखिए

जोश मलीहाबादी

MORE BYजोश मलीहाबादी

    मेरी हालत देखिए और उन की सूरत देखिए

    फिर निगाह-ए-ग़ौर से क़ानून-ए-क़ुदरत देखिए

    सैर-ए-महताब-ओ-कवाकिब से तबस्सुम ता-बके

    रो रही है वो किसी की शम-ए-तुर्बत देखिए

    आप इक जल्वा सरासर मैं सरापा इक नज़र

    अपनी हाजत देखिए मेरी ज़रूरत देखिए

    अपने सामान-ए-ताय्युश से अगर फ़ुर्सत मिले

    बेकसों का भी कभी तर्ज़-ए-मईशत देखिए

    मुस्कुरा कर इस तरह आया कीजे सामने

    किस क़दर कमज़ोर हूँ मैं मेरी सूरत देखिए

    आप को लाया हूँ वीरानों में इबरत के लिए

    हज़रत-ए-दिल देखिए अपनी हक़ीक़त देखिए

    सिर्फ़ इतने के लिए आँखें हमें बख़्शी गईं

    देखिए दुनिया के मंज़र और ब-इबरत देखिए

    मौत भी आई तो चेहरे पर तबस्सुम ही रहा

    ज़ब्त पर है किस क़दर हम को भी क़ुदरत देखिए

    ये भी कोई बात है हर वक़्त दौलत का ख़याल

    आदमी हैं आप अगर तो आदमियत देखिए

    फूट निकलेगा जबीं से एक चश्मा हुस्न का

    सुब्ह उठ कर ख़ंदा-ए-सामान-ए-क़ुदरत देखिए

    रश्हा-ए-शबनम बहार-ए-गुल फ़रोग़-ए-मेहर-ओ-माह

    वाह क्या अशआर हैं दीवान-ए-फ़ितरत देखिए

    इस से बढ़ कर और इबरत का सबक़ मुमकिन नहीं

    जो नशात-ए-ज़िंदगी थे उन की तुर्बत देखिए

    थी ख़ता उन की मगर जब गए वो सामने

    झुक गईं मेरी ही आँखें रस्म-ए-उल्फ़त देखिए

    ख़ुश-नुमा या बद-नुमा हो दहर की हर चीज़ में

    'जोश' की तख़्ईल कहती है कि नुदरत देखिए

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